Republic Day - 2019

02 September 2018

शिक्षक दिन


 शिक्षक दिन

शिक्षक, नेता, विचारक, दार्शनिक के रूप में सफलता प्राप्त करने वाले भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन थेराधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किए थे
उनके शिक्षा प्रेम और विद्वता के कारण भारत वर्ष में उनका जन्म दिवस 5 सितम्बर शिक्षक दिवसके रूप में मनाया जाता हैप्राचीन काल में यह मान्यता थी कि बिना गुरू के ज्ञान नहीं होता और हो भी जाए तो वह फल नहीं देतायह मान्यता कुछ हद तक सही भी थी, क्योंकि व्यक्ति जो कुछ पढ़ता है उससे उसे मात्र शब्द ज्ञान प्राप्त होता है उर्थ ज्ञान नहीं
अर्थ ज्ञान के लिए ही व्यक्ति को शिक्षक की आवश्यकता होती हैअर्थ ज्ञान के अभाव में वह उस गधे की तरह होता है, जो अपने पीठ पर लदे चन्दन की लकड़ी के भार को जानता हें, लेकिन चन्दन को नहीं जानताभारत-शिक्षा के लिए प्राचीन काल से ही विश्व प्रसिद्ध रहा है
पहले शिक्षा गुरुकुलों में दी जाती थीछात्र आश्रमों में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थेवे शिक्षा की पूर्ण समाप्ति पर ही अपने घरों में वापिस लौटते थेवेद, वेदांत, उपनिषद्, शस्त्र-अस्त्र की शिक्षा के अतिरिक्त उन्हें सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक शिक्षा भी दी जाती थीशिष्य की समस्याओं और शंकाओं का निवारण उस का शिक्षक सदैव करता था शिक्षक का स्थान बहुत ऊँचा थाराजा भी शासन कार्यों में उसकी सलाह लेते थे
संसार परिवर्तनशील हैमान्यताएं बदलती हैं और ध्वस्त होती हैं लेकिन शिक्षा की आवश्यकता व्यक्ति को जीवन भर पड़ती हैजिस प्रकार माली पौधे की कांट-छांट करके उसे सुन्दर बनाता है, उसी प्रकार शिक्षक भी अपने विद्यार्थियों के दुर्गुणों को दूर कर उनमें सद्गुणों का विकास कर उन्हें उच्च पद पर बैठाता हैजैसे कि चाणक्य ने अपने शिष्य चन्द्रगुप्त को सम्राट बनाया थाइसलिए गुरू ब्रह्म, विष्णु और महेश के समान पूज्यनीय है
देश को महान् नेता, वैज्ञानिक, दार्शनिक, डॉक्टर इंजीनियर देने वाले शिक्षक की उपेक्षा कदाचित् उचित नहीं5 सितम्बर को राष्ट्रपति कुछ शिक्षकों को पुरस्कार देते हैंयह पुरस्कार राज्य स्तर पर भी शिक्षकों को मिलता है राजनैतिक कृपापात्र ही इस पुरस्कार की चयन प्रक्रिया में पाते हैंकुशल और योग्य शिक्षक अपने जीवन में यह पुरस्कार प्राप्त नहीं कर पाते
5 सितम्बर को स्कूलों का कार्यभार बच्चों को सौंपा जाता हैकुछ चुने हुए छात्र-छात्राओं को अध्यापक और अध्यापिका बनाया जाता है और वे अध्यापन का कार्य करते हैंशरारत करने वाले छात्र जिस जिम्मेदारी से कार्य का संचालन करते हैं वह देखते ही बनता है
विद्यालय में प्रार्थना समाप्त होने के बाद इन बाल अध्यापकों से परिचय कराया जाता हैइस अवसर पर बाल अध्यापक अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैंकहीं-कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैंअगले दिन प्रिंसिपल बाल अध्यापकों द्वारा सुव्यवस्थित ढंग से चलाए गए अध्यापन कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं