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19 September 2018

कहानियां

कहानियां परमात्मा को भी प्रिय हैं :-

मनुष्यता के प्रारंभ से ही मनुष्य निर्माण करता रहा है सुंदर पुराणों का। वह निर्मित करता है परमात्मा। वह निर्मित करता है यह बात कि परमात्मा ने संसार को बनाया; और वह गढ़ता रहता है सुंदर—सुंदर कहानियां। वह कल्पनाएं बुनता रहता है, वह नई—नई कहानियां अपने चारों ओर गढ़ता रहता है। मनुष्य कहानियां गढ़ने वाला प्राणी है; और जीवन एकदम उबाऊ हो जाएगा यदि उसके आस—पास कोई कहानी न हो।
मनुष्य कहानियां गढ़ने वाला प्राणी है। फिर छोटी—छोटी कहानियां हैं—मोहल्ले—पड़ोस की, पड़ोसी की पत्नी की, और बड़ी कहानियां हैं—ब्रह्मांड की, परमात्मा की। लेकिन मनुष्य को बड़ा रस आता है कहानियों में।
मुझे एक कहानी बहुत प्रीतिकर है; मैंने बहुत बार कही है। एक यहूदी कहानी है.
बहुत वर्ष पहले, बहुत सदियों पहले एक नगर में एक रबाई रहता था। जब भी नगर में कोई
मुसीबत आती, वह जंगल में जाता, कोई यज्ञ करता, प्रार्थना करता, अनुष्ठान करता; और परमात्मा से कहता, 'मुसीबत दूर करो। हमें बचाओ।’ और नगर की सदा रक्षा हो जाती।
फिर वह रबाई मरा; दूसरा आदमी रबाई बना। नगर पर मुसीबत आई; लोग घबडाए, इकट्ठे हुए। रबाई गया जंगल में, लेकिन वह ठीक स्थान नहीं खोज पाया। उसे पता ही नहीं था। तो उसने परमात्मा से कहा, 'मुझे ठीक—ठीक स्थान पता नहीं है जहां वह बूढ़ा रबाई आपसे प्रार्थना किया करता था, लेकिन उससे लेना—देना भी क्या है। आप तो वह स्थान जानते ही हैं, तो मैं यहीं बैठ कर प्रार्थना करूंगा।’ नगर पर कभी कोई मुसीबत न आई। लोग प्रसन्न थे।
फिर यह रबाई भी मरा; तो दूसरा रबाई आया। फिर नगर पर कोई मुसीबत आई, लोग इकट्ठे हुए। वह जंगल में गया, लेकिन उसने परमात्मा से कहा, 'मुझे ठीक—ठीक पता नहीं कि वह स्थान कहां है। अनुष्ठान, कर्म —कांड वगैरह कुछ मैं जानता नहीं। मैं तो केवल प्रार्थना जानता हूं। तो कृपा करें, आप तो सब कुछ जानते हैं, शेष विस्तार की फिक्र न करें। मेरी प्रार्थना सुनें.....।’ और जो उसे कहना था उसने कहा। संकट टल गया।
फिर वह भी मरा; और दूसरा रबाई आया। नगर के लोग इकट्ठे हुए मुसीबत की घड़ी थी, कोई महामारी फैली थी, और लोगों ने कहा, 'आप प्रार्थना करने जंगल में जाएं; ऐसा ही सदा से होता आया है। पुराने रबाई सदा जंगल जाते रहे हैं।’
वह बैठा हुआ था अपनी आरामकुर्सी पर। उसने कहा, 'वहां जाने की क्या जरूरत है? परमात्मा यहीं से सुन सकता है। और मैं कुछ जानता नहीं।’ तो उसने नजरें उठाई आकाश की ओर और कहा, 'सुनो, ठीक स्थान मैं जानता नहीं, मुझे क्रिया—कांड के बारे में कुछ पता नहीं—मैं तो प्रार्थना भी कुछ नहीं जानता। मुझे तो बस यह कहानी मालूम है कि पहला रबाई कैसे वहॉ जाता था, दूसरा कैसे जाता था, तीसरा कैसे जाता था, चौथा कैसे जाता था... मैं आपसे यही कहानी कह दूंगा—और मैं जानता हूं कि कहानियां आपको प्रिय हैं। कृपया कहानी सुन लें और गांव को मुसीबत से बचा लें।’ और उसने पुराने रबाइयों की सारी कहानी कह दी। और ऐसा कहा जाता है, परमात्मा को वह कहानी इतनी पसंद आई कि नगर की रक्षा हो गई।
उसे जरूर कहानियां बहुत प्रिय हैं; वह स्वयं कहानियां गढ़ता रहता है। उसे प्रिय होनी ही चाहिए कहानियां। उसी ने सबसे पहले यह जीवन की पूरी कहानी गढ़ी।
हां, जीवन एक कहानी है, अस्तित्व के शाश्वत मौन में एक छोटी सी कहानी, और मनुष्य है कहानी गढ़ने वाला प्राणी। जब तक कि तुम परमात्मा न हो जाओ तुम्हें कहानियां पसंद आएंगी : तुम्हें भाएगी राम और सीता की कहानियां, महाभारत की कहानियां; तुम्हें भाएगी यूनान की, रोम की, चीन की कहानियां। लाखों—लाखों कहानियां हैं—सभी सुंदर हैं।
ओशो : पतंजलि योगसूत्र