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11 September 2018

निजता


ऐसा एक दफे हो भी गया। चार्ली चैपलीन का नाम सुना होगा। वह एक हंसोड़ अभिनेता था। उसकी पचासवीं वर्षगांठ बड़े जोर-शोर से मनाई गई थी। और एक उस वर्षगांठ पर एक विशेष आयोजन किया गया सारे यूरोप और अमेरिका में। अभिनेताओं को निमंत्रित किया गया कि दूसरे अभिनेता चार्ली चैपलीन का अभिनय करें। ऐसे सौ अभिनेता सारी दुनिया से चुने जाएंगे। प्रतियोगिताएं होंगी नगरों-नगरों में। और फिर अंतिम प्रतियोगिता होगी। और उस अंतिम प्रतियोगिता में तीन व्यक्ति चुने जाएंगे जो चार्ली चैपलीन का पार्ट करने में सर्वाधिक कुशल सिद्ध होंगे। उन तीन को तीन पुरस्कार दिए जाएंगे।

प्रतियोगिता हुई, हजारों अभिनेताओं ने भाग लिया। एक से एक कुशल अभिनेता ने, चार्ली चैपलीन बना, बनने की कोशिश की। चार्ली चैपलीन के मन में हुआ कि मैं भी किसी दूसरे के नाम से फार्म भर कर सम्मिलित क्यों न हो जाऊं? मुझे तो प्रथम पुरस्कार मिल ही जाने वाला है। खुद ही चार्ली चैपलीन हूं मेरा धोखा और कौन दे सकेगा। और जब बात भी खुलेगी तो एक मजाक हो जाएगी, मैं तो हंसोड़ अभिनेता हूं ही। लोग कहेंगे खूब मजाक की इस आदमी ने।

वह एक छोटे से गांव में जाकर फार्म भर कर सम्मिलित हो गया। अंतिम प्रतियोगिता हुई उसमें वह सम्मिलित था। सौ लोगों में वह भी एक था, किसी को पता नहीं। वहां तो सौ चार्ली चैपलीन एक से मालूम होते थे, एक सी मूंछ, एक सी चाल, एक सी ढाल, वे सब चार्ली चैपलीन थे। प्रतियोगिता हुई, पुरस्कार बंटे, मजाक भी खूब हुई, लेकिन चार्ली चैपलीन ने जो सोची थी वह मजाक नहीं हुई, मजाक उलटी हो गई। चार्ली चैपलीन को द्वितीय पुरस्कार मिल गया। कोई अभिनेता उसके ही पार्ट करने में नंबर एक आ गया। और जब पता चला दुनिया को, तो दुनिया हैरान रह गई कि हद्द हो गई यह बात तो! कि चार्ली चैपलीन खुद मौजूद था प्रतियोगिता में और नंबर दो का पुरस्कार मिला! तो हो सकता है महावीर के अनुयायी महावीर को हरा दें नकल करने में। बिलकुल हरा सकते हैं। चूंकि अनुयायी एक नकल होता है, असल नहीं। लेकिन नकली आदमी हरा भी दे तो भी नकली आदमी नकली आदमी है, उसके भीतर कोई आनंद, कोई प्रफुल्लता, कोई विकास, कोई पूर्णता उपलब्ध नहीं हो सकती। और इन नकली आदमियों का एक ज्वार चलता है सारी दुनिया में।

इसलिए मैंने कहा कि आदर्श नहीं; चाहिए निजता, चाहिए खुद के व्यक्तित्व में छिपे हुए बीजों को विकास करने की क्षमता, उनका अनुसंधान।
ओशो : अंतर की खोज