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31 August 2018

पागलों की बस्ती

 
खलील जिब्रान की प्रसिद्ध कथा है।
एक गांव में एक जादूगर आया और उसने गांव के कुएं में मंत्र पढ़ कर कुछ दवा फेंक दी और कहा, जो भी इसका पानी पीएगा, पागल हो जाएगा। अब गांव में दो ही कुएं थे, एक गांव का और एक राजा का। सारा गांव पागल हो गया सिर्फ राजा, उसका वजीर, उसकी रानी, इनको छोड़ कर। राजा बड़ा खुश हुआ। उसने कहा, हम बचे। आज अलग कुआं था तो बच गए।

अब लोग प्यासे थे तो पानी तो पीना ही पड़ा। और एक ही कुआं था, तो कोई उपाय भी न था। सारा गांव पागल हो गया। राजा खुश है, परमात्मा को धन्यवाद देता है कि खूब बचाया। लेकिन सांझ होते—होते राजा को पता चला, यह बचना बचना न हुआ। क्योंकि सारे गांव में एक अफवाह जोर पकड़ने लगी कि मालूम होता है, राजा का दिमाग खराब हो गया है।

जब सारा गांव पागल हो जाए और एक आदमी स्वस्थ बचा हो तो सारा गांव सोचेगा ही कि पागल हो गया यह आदमी। भीड़ एक तरफ हो गई, राजा एक तरफ पड़ गया। इस भीड़ में राजा के सिपाही भी थे, सेनापति भी थे। इस भीड़ में राजा के पहरेदार भी थे, अंगरक्षक भी थे। राजा तो घबड़ा गया। सांझ होते—होते तो सारा गांव महल के चारों तरफ इकट्ठा हो गया। और लोगों ने नारे लगाए कि उतरो सिंहासन से। तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। हम किसी स्वस्थ—मन व्यक्ति को राजा बनाएंगे। राजा ने अपने वजीर से कहा, अब बोलो, क्या करें? यह तो महंगा पड़ गया। यह कुआं आज न होता तो अच्छा था। वजीर ने कहा, कुछ घबड़ाने की बात नहीं। मैं इन्हें रोकता हूं समझाता हूं आप भागे जाएं, उस कुएं का पानी पी लें। गांव के कुएं का पानी पी लें। आप जल्दी पानी पीए, अब देर करने की नहीं है।

वह भागा राजा। वजीर तो लोगों को बातों में उलझाए रहा। राजा वहा से पानी पीकर आया तो नंगधडंग, नाचता। गांव बड़ा खुश हुआ। उस रात बड़ा उत्सव मनाया गया। लोगों ने ढोल पीटे, बांसुरी बजाई। लोग खूब नाचे। लोगों ने कहा, हमारे राजा का मन स्वस्थ हो गया।

तुम जिस बस्ती में हो वह पागलों की है, पाखंडियों की है। तुम जिनके बीच हो उनके बीच शुद्ध आंख को पैदा करने में बड़ी कठिनाई होगी। लेकिन वह कठिनाई गुजरने जैसी है। शुद्ध आंख पैदा कर लो। क्योंकि उसके बिना परमात्मा को देखने का कोई उपाय नहीं। सत्य को निष्पक्ष आंख ही देख सकती है। पक्षपात सभी असत्य हैं।
ओशो : अष्टाावक्र महागीता