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21 November 2018

क्षमावान परमात्मा


जीसस की कहानी समझ लेने जैसी है। जीसस ने बार-बार कहानी दोहराई है कि एक धनी बाप के दो बेटे थे। एक बेटा बिगड़ गया। जवान हुआ, तो उसने अपनी आधी संपत्ति मांग ली। संपत्ति ले कर वह शहर चला गया। क्योंकि गांव में खर्च करने के उपाय भी न थे। न जुआघर थे, न शराबगृह था, न वेश्याएं थीं। शहर में उसने सब बरबाद कर दिया। सड़क का भिखारी हो गया। बाप को खबर मिलती रही। बाप दुखी और पीड़ित भी हुआ, क्योंकि यह नहीं सोचा था। लेकिन बाप जानता था कि जबर्दस्ती तो की भी नहीं जा सकती। जब वह समझेगा तब लौट आएगा। उसकी समझ ही लौटा सकती है। बाप प्रतीक्षा कर सकता है, आग्रह नहीं कर सकता है। आग्रह खतरनाक है। आग्रह और दूर ले जाएगा।

बड़ा बेटा घर पर रहा। जो संपत्ति उसे मिली थी उसने दुगुनी कर दी। वह खेत में काम करता, बगीचों में अंगूर लगाता, बड़ी मेहनत करता। सुबह से सांझ तक जुटा रहता।

फिर एक दिन भिखारी बेटे को खयाल आया कि ऐसे तो मैं भीख मांग-मांग कर मर जाऊंगा। मैं घर लौट सकता हूं। मेरा पिता अभी भी जिंदा है। और पिता के प्रेम पर मैं भरोसा कर सकता हूं। और जिसने मुझे इतनी स्वतंत्रता दी, और जिसने कभी यह भी न कहा, यह गलत है मत करो; जिसने मुझे मौका दिया ताकि मैं खुद ही जान लूं कि क्या गलत है, उसकी करुणा मुझे इनकार न करेगी, स्वीकार कर लेगी। उसे अपने बाप पर भरोसा है।

उसने एक दिन खबर दी कि मैं वापस आ रहा हूं। बाप ने समारोह आयोजन किया। जो स्वस्थ से स्वस्थ भेड़ें थीं, उसने कटवायीं। सुंदर सुस्वादु भोजन बनवाए। बेटा घर आ रहा है! गांव में फूल-वंदनवार लगवाए। सारे गांव के मित्रों को आमंत्रित किया कि मेरा बेटा घर आ रहा है।

बड़े बेटे को खेत में खबर लगी। किसी ने बताया कि हद हो गयी। तुम तो जीवन भर इस बूढ़े की सेवा करते रहे, कभी उसके विपरीत न गए, कभी तुमने उसकी आज्ञा का उल्लंघन न किया, धन को तुमने दुगुना कर दिया, लेकिन तुम्हारे स्वागत में कभी भी कोई समारोह न हुआ। कभी भेड़ें न काटी गयीं, कभी सुस्वादु भोजन न बने, कभी गांव निमंत्रित न किया गया। और आज वह भ्रष्ट लड?का वापस लौट रहा है, जिसने सब बरबाद कर दिया वेश्याओं में, शराबगृह में, जुआघरों में, उसके स्वागत का आयोजन हो रहा है! यह अन्याय है।

बड़े बेटे को भी लगा कि यह अन्याय है। वह उदास और दुखी घर वापस लौटा। यह स्वागत-समारोह देख कर, जलते दीए देख कर, फूल लगे देख कर, उसकी छाती पर बड़ा भारी बोझ हो गया। वह जा कर अपने बाप के पास पहुंचा। और उसने कहा, यह अन्याय है। मैं तुम्हारी सेवा कर रहा हूं। मेरे लिए कभी कोई वंदनवार न लगे, बैंड-बाजे न बजे। और वह भ्रष्ट वापस लौट रहा है, उसके स्वागत की ये तैयारियां हैं! मैं अपनी आंखों पर भरोसा नहीं कर सकता।

बाप ने कहा, तुम मेरे पास ही हो। तुम कभी बिगड़े ही न। तुम कभी गलत रास्ते पर न गए। तुम्हारे स्वागत का कोई सवाल नहीं उठता। तुम मेरे पास ही हो। हर घड़ी तुम्हारा स्वागत है। तुम मेरे हृदय के करीब हो। लेकिन जो बिगड़ गया, भ्रष्ट हो गया, जिसके लिए मैंने बहुत चिंताएं कीं--तुम्हारे लिए कभी चिंता का कोई कारण न रहा, तुमसे मैं सदा प्रसन्न हूं, इसलिए अतिरिक्त प्रसन्नता की कोई भी जरूरत नहीं है--और जिसके लिए मैं चिंतित हुआ, रात सो न सका, वह वापस लौट रहा है। उसको स्वागत की जरूरत है।

जब भूला-भटका वापस आता है तो समारोह की जरूरत होती है। जीसस कहते थे, पुण्यात्मा, साधु और संत बड़े बेटे की भांति हैं। जो भटक गए हैं, दूर निकल गए हैं, पापी हैं, अपराधी हैं, वे छोटे बेटे की तरह। और जीसस ने एक बड़ा अदभुत सूत्रपात किया। और यहीं यहूदी धर्म से उनका विरोध हो गया। क्योंकि यहूदी मानते थे, जिसने गलती की है, परमात्मा उसे दंड देगा। और जीसस ने कहा, वह उसका स्वागत करेगा, क्योंकि उसका प्रेम है। तुम कितना ही गलत करो, तुम उसके प्रेम को नष्ट नहीं कर सकते हो। तुम कितने ही दूर जाओ, तुम उसके हृदय से दूर नहीं जा सकते हो। तुम पीठ कर सकते हो, वह पीठ नहीं करेगा। वह पिता है।
ओशो : एक ओंकार सतनाम