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निबंध-लेखन
निबंध-लेखन – निबंध गद्य की वह विधा है जिसमें निबंधकार किसी भी विषय को अपने व्यक्तित्व का अंग बनाकर स्वतंत्र रीति से अपनी लेखनी चलाता है। निबंध दो शब्दों नि + बंध से मिलकर बना है जिसका अर्थ है भली प्रकार कसा या बँधा हुआ। इस प्रकार निबंध साहित्य की वह रचना है जिसमें लेखक अपने विचारों को पूर्णतः मौलिक रूप से इस प्रकार श्रृंखलाबद्ध करता है कि उनमें सर्वत्र तारतम्यता दिखाई दे। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है कि “यदि गद्य कवियों की कसौटी है तो निबंध गद्य की कसौटी है।”
निबंध की विशेषताएँ
Ø निबंध में विषय के अनुरूप भाषा होनी चाहिए।
Ø निबंध लिखते समय वर्तनी की शुद्धता तथा विराम चिह्नों का यथास्थान ध्यान रखना चाहिए।
Ø निबंध में वर्णित विचार एक-दूसरे से संबद्ध होने चाहिए।
Ø निबंध में विषय संबंधी सभी पत्रों पर चर्चा करनी चाहिए।
Ø सारांश में उन सभी बातों को शामिल किया जाना चाहिए जिनका वर्णन पहले हो चुका है।
Ø यदि निबंध लेखन में शब्द-सीमा दी गई है तो उसका अवश्य ध्यान रखें।
निबंध के तत्व :
निबंध के निम्नलिखित प्रमुख तत्व माने जाते हैं –
विषय प्रतिपादन - निबंध में विषय के चुनाव की छूट रहती है, परंतु विषय का प्रतिपादन आवश्यक है।
भाव-तत्व - भाव-तत्व होने पर ही कोई रचना निबंध की श्रेणी में आती है अन्यथा वह मात्र लेख बनकर रह जाती है।
भाषा-शैली - निबंध की शैली के अनुरूप ही उसमें भाषा का प्रयोग होता है। निबंध एक शैली में भी लिखा जा सकता है तथा उसमें अनेक शैलियों का सम्मिश्रण भी हो सकता है।
स्वच्छंदता - निबंध में लेखक की स्वच्छंद वृत्ति दिखाई देनी चाहिए, परंतु भौतिकता भी बनी रहनी चाहिए।
व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति-निबंध में लेखक के व्यक्तित्व की झलक अवश्य होनी चाहिए।
संक्षिप्तता - निबंध में सक्षिप्तता उसका अनिवार्य गुण है।
निबंध के अंग :
निबंध के मुख्य रूप से तीन अंग माने जाते हैं –
भूमिका/परिचयं - यह निबंध का आरंभ होता है। इसलिए भूमिका आकर्षक होनी चाहिए जिससे पाठक पूरे निबंध को पढ़ने हेतु प्रेरित हो सके।
विस्तार - भूमिका के पश्चात निबंध का विस्तार शुरू होता है। इस भाग में निबंध के विषय से संबंधित प्रत्येक पक्ष का अलग अलग अनुच्छेदों में वर्णन किया जाता है। प्रत्येक अनुच्छेद की अपने पहले तथा अगले अनुच्छेद से संबद्धता अनिवार्य है। इसके लिए विचार क्रमबद्ध होने चाहिए।
उपसंहार - इस अंग के अंतर्गत निबंध में व्यक्त किए गए सभी विचारों का सारांश प्रस्तुत किया जाता है।
निबंध के प्रकार :
मुख्य रूप से निबंध के चार प्रकार माने जाते हैं –
वर्णनात्मक
विवरणात्मक
विचारात्मक
भावात्मक
1. वर्णनात्मक - वर्णनात्मक निबंध में स्थान, वस्तु, दृश्य आदि का क्रमबद्ध वर्णन किया जाता है। त्योहारों-दीवाली, रक्षाबंधन, होली तथा वर्षा ऋतु आदि पर लिखे निबंध इसी कोटि में आते हैं।
2. विवरणात्मक - विवरणात्मक निबंधों में विषय से संबंधित घटनाओं, व्यक्तियों, यात्राओं, उत्सवों आदि का विवरण प्रस्तुत किया जाता है। पं० जवाहरलाल नेहरू, रेल-यात्रा, विद्यालय का वार्षिक उत्सव आदि प्रकार के निबंध इस श्रेणी में आते हैं।
3. विचारात्मक - जिन निबंधों में किसी समस्या, विचार, मनोभाव आदि को विश्लेषणात्मक व व्याख्यात्मक शैली में प्रस्तुत किया जाता है, वे विचारात्मक निबंध कहलाते हैं; जैसे-नशाखोरी, विज्ञान से लाभ-हानि आदि।
4. भावात्मक - जिन निबंधों में भाव-तत्व प्रधान होता है वे भावात्मक निबंध कहलाते हैं। परोपकार, साहस, पर उपदेश कुशल बहुतेरे आदि निबंध इसी श्रेणी में आते हैं।
निबंध लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य कुछ आवश्यक बातें :
ü प्रश्न-पत्र में दिए गए शब्दों की सीमा का ध्यान रखें।
ü भाषा की शुद्धता का ध्यान रखें तथा विराम चिह्नों का यथास्थान प्रयोग करें।
ü निबंध लेखन में मौलिकता अवश्य होनी चाहिए।
ü विषय के अनावश्यक विस्तार से बचें।
ü निबंध के प्रारंभ या अंत में किसी सूक्ति, उदाहरण, सुभाषित या काव्य पंक्ति के प्रयोग से निबंध आकर्षक बन जाता है।
ü विचारों की क्रमबद्धता का ध्यान रखें।
ü आवश्यकतानुसार मुहावरों एवं लोकोक्तियों का प्रयोग करें।
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